मैं तुम सी क्यूँ नहीं हूँ,
ये पूछते क्यूँ हो,
मैं खुद सी हूँ नहीं अब,
समझते क्यूँ नहीं हो तुम ...
मेरे गम क्यूँ स्याह हैं, ,
पूछा है तुम्हारे सवेरों ने,
मैं रातें सींचती हूँ,
समझते क्यूँ नहीं हो तुम ...
कहा क्या करते हैं सब,
ये बताते हो मुझे रहते,
मैं कहती कुछ नहीं हूँ,
समझते क्यूँ नहीं हो तुम ...
है तुमसे रोशन ज़माना,
जानती हूँ मैं,
मेरे अंधेरों का सबब,
समझते क्यूँ नहीं हो तुम ...
महकती ओस हूँ मैं,
खिले फूलों पे पलती हूँ,
बस एक दिन सूख जाऊँगी,
समझते क्यूँ नहीं हो तुम ...
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