˜”*°•.˜”*°•..˜”*°•♥•°*”˜.• °*”˜.•°*”˜
इठलाते चुलबुले बच्चों से लगते थे हम,
जब पौधों को मिटटी में लगाते थे...
कितनी उत्सुकता से बीज बोये थे रात की रानी के,
उस रात हाई-फाई पर घेओरघे ज़ामफिर की पैन फ्लूट,
मद्धम मद्धम सारे माहौल को रूहानी किये हुए थी...
रात की रानी के बड़े होने के सपनो के साथ,
कितने वादे और इरादे किये थे हमने,
बड़ा हसीं था वो वादा और उसकी दिलकश महक...
तुम्हारे सामने कितने नखरे करती रही वो बेल,
जो अब पनपी तो ऐसी पनपी,
की हर रात सारे आँगन को महका जाती है...
जैसे पहुंचना चाहती हो दीवारों के पार,
किसी को अपने पास महसूस करने को..
घेओरघे ज़ामफिर के संगीत की ध्वनि अब और गहराती जाती है,
जैसे वो भी किसी असीमित हदों के पार पहुंचना चाहती हो...
कभी उस रात की रानी को देखने ज़रूर आना,
जाने क्यूँ उस पर ओंस की बूँदें कुछ ज्यादा ही थमती हैं,
भारी हो जाती हैं मासूम पत्तीयाँ,बोझ संभलता नहीं उनसे....
तुम्हारे आने से,सीले हुए पत्ते,खिलखिला उठें शायद...
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इठलाते चुलबुले बच्चों से लगते थे हम,
जब पौधों को मिटटी में लगाते थे...
कितनी उत्सुकता से बीज बोये थे रात की रानी के,
उस रात हाई-फाई पर घेओरघे ज़ामफिर की पैन फ्लूट,
मद्धम मद्धम सारे माहौल को रूहानी किये हुए थी...
रात की रानी के बड़े होने के सपनो के साथ,
कितने वादे और इरादे किये थे हमने,
बड़ा हसीं था वो वादा और उसकी दिलकश महक...
तुम्हारे सामने कितने नखरे करती रही वो बेल,
जो अब पनपी तो ऐसी पनपी,
की हर रात सारे आँगन को महका जाती है...
जैसे पहुंचना चाहती हो दीवारों के पार,
किसी को अपने पास महसूस करने को..
घेओरघे ज़ामफिर के संगीत की ध्वनि अब और गहराती जाती है,
जैसे वो भी किसी असीमित हदों के पार पहुंचना चाहती हो...
कभी उस रात की रानी को देखने ज़रूर आना,
जाने क्यूँ उस पर ओंस की बूँदें कुछ ज्यादा ही थमती हैं,
भारी हो जाती हैं मासूम पत्तीयाँ,बोझ संभलता नहीं उनसे....
तुम्हारे आने से,सीले हुए पत्ते,खिलखिला उठें शायद...
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