रुला गया वो शख्स किस क़दर हमको,
अब मुस्कराहट दबे पाँव गुज़र जाती है...
होश में आते तो होश रहता हमको,
उसकी बेरुखी हमें मदहोश किये जाती है...
अपने दिल-ओ-जां का निगेबां बनाया जिसको,
खुद की नाक़ाम बर्बादी उसमें नज़र आती है...
बस ज़रा और सितमगर जी लेने दो हमको,
वरना ये आह आने से पहले चली जाती है...
उसके किस्से सुनाया न करो हमको,
जिसकी यादें हर लम्हा तड़पाती हैं...
कभी तो भिगोएगी इश्क की बूँदें हमको,
इसी उम्मीद में आँखें अश्क हर शब् गिराती हैं...
रूखे बंजर से जो दिखते हैं दिल के मकां हमको,
उनकी रौनक का अरमान लिए,ओंस बरस जाती है...
अब मुस्कराहट दबे पाँव गुज़र जाती है...
होश में आते तो होश रहता हमको,
उसकी बेरुखी हमें मदहोश किये जाती है...
अपने दिल-ओ-जां का निगेबां बनाया जिसको,
खुद की नाक़ाम बर्बादी उसमें नज़र आती है...
बस ज़रा और सितमगर जी लेने दो हमको,
वरना ये आह आने से पहले चली जाती है...
उसके किस्से सुनाया न करो हमको,
जिसकी यादें हर लम्हा तड़पाती हैं...
कभी तो भिगोएगी इश्क की बूँदें हमको,
इसी उम्मीद में आँखें अश्क हर शब् गिराती हैं...
रूखे बंजर से जो दिखते हैं दिल के मकां हमको,
उनकी रौनक का अरमान लिए,ओंस बरस जाती है...
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