दिल की बिसात पर बिछती आँखें...
कभी उठती,कभी झुकती आँखें...
कभी एक पल में संभलती आँखें,
वहीं फिर ज्वलंत देहेकती आँखें...
बेज़बानी में हर बात कहती आँखें,
अपने कोनो में,ग़म समेटती आँखें...
अपने सच से कहीं मुंह मोड़ती आँखें,
न जाने कितने दिल तोड़ती आँखें...
हर एक आस को बिखेरती आँखें,
तो कहीं खुद ही खुद से जुड़ती आँखें...
कभी चंचल,कभी बोझिल आँखें,
कभी मृग की तृष्णा सी भटकती आँखें....
किसी मासूम बच्चे की शरारत सी आँखें,
लुका छिपी करती,छिपती छिपाती आँखें...
कुछ जीवंत पलों सी चहकती आँखें,
कभी सदियों सी वीरान खंडहर आँखें...
अपनों की इस भीड़ में गुम सुम आँखें,
कितनी असहाए कितनी बेबस आँखें....
पत्थरीली,निष्ठुर,कठोर आँखें,
कभी ख़ूनी,कभी खंजर आँखें...
वक़्त की चाल पर चलती आँखें,
वक़्त बदलते,बदलती आँखें...
कभी रेशमी जाल बुनती आँखें,
कभी लाल डोरों में सुलगती आँखें...
तुम्हे कहती,तुम्हे सुनती आँखें,
हर आरज़ू का आइना आँखें...
नींद के ख़ुमार में अलसाई आँखें,
किसी की याद में भरमाई आँखें....
ओंस की बूंदों में नर्म पड़ती आँखें,
आंसुओं को प्रतिबिंबित करतीं आँखें...
कभी दिल खोल कर अपनाती आँखें,
कभी खुले दिल पर संग बरसाती आँखें...
कभी गरीब की चौखट सी तरसती आँखें,
कभी रईस की नींद को तरसती आँखें...
क्षन्न्भंगुरता की असीमित समझ आँखें,
जीवन मृत्यु के भ्रम को परखती आँखें...
लालायित सम्मोहन का मोहपाश हैं आँखें,
ज़िन्दगी के सुर पर थिरकता जोश हैं आँखें...
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