मेरे हाथों में मुझे उभरते हुए तूफ़ान नज़र आते हैं,
मेरी तकदीर की लकीरें किया करती हैं अक्सर ऐसा....
मेरी साँसों में बेचैनी के साए रातों में नज़र आते हैं,
मेरी यादें सितम यूँही किया करतीं हैं अक्सर ऐसा....
सभी इरादों के,भूले वादों के धुंधलके नज़र आते हैं,
मेरी आँखें जो रोती हैं तो किया करती हैं अक्सर ऐसा...
दरो दिवार को टटोल कर रोशन ख़याल नज़र आते हैं,
हसरत-ऐ-उम्मीद किया करती हैं अक्सर ऐसा....
ये क्या मंज़र है तुम्हारी आमद के आसार नज़र आते हैं,
सोती पलकें ख्वाब संजोया करती हैं अक्सर ऐसा...
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