Monday, September 24, 2012


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मेरे दिल में अब और दर्द समाता नहीं,
ये कैसा नासूर है मौला जो जाता नहीं ?

हँस के बोला वो परवरदिगार बन्दे से,
अपने दिल की गहराइयां तू पहचानता नहीं!

अपनी नज़र को देख जिस के दायरों में,
सारी क़ाएनात सिमट जाती है,
और तुझे फिर भी नींद आ जाती है!
तेरा दिल तो दरिया है,मत उसको कम तू समझ,
तेरे दिल की नेकी से तो हर टीस दवा बन जाती है...

अपने इस जिगर को नज़र की नज़र कर दे ,
फिर देख तेरा यही दिल क्या है जो कर पाता नहीं!!

(¯`•´¯)
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